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Yarn की कीमतों में बढ़ोतरी से गारमेंट निर्यात प्रभावित होने की आशंका

Yarn की कीमतों में बढ़ोतरी से गारमेंट निर्यात प्रभावित होने की आशंका

भीलवाड़ा । 

काटन यार्न की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से गारमेंट निर्यात प्रभावित होने की आशंका पैदा है। गारमेंट निर्यातकों के मुताबिक यार्न के दाम में पिछले एक माह में 10 प्रतिशत तो पिछले 18 महीनों में 100 प्रतिशत तक का इजाफा हो चुका है। इससे गारमेंट निर्माण की लागत बढ़ रही है और उनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता प्रभावित हो सकती है। गारमेंट निर्यातकों ने बताया कि मुख्य रूप से यार्न के निर्यात में बढ़ोतरी से यार्न के दाम में तेजी आई है। अप्रेल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी) ने वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय से यार्न के दाम में तेजी को रोकने के लिए हस्तक्षेप की मांग की है। इस साल मार्च में काटन यार्न के दाम 376 रुपये प्रति किलो थे जो इस साल अप्रैल में 406 रुपये प्रति किलो हो गया। डेढ़ साल पहले काटन यार्न की कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम थी। एईपीसी के चेयरमैन नरेंद्र गोयनका के मुताबिक कच्चे माल की लागत में लगातार बढ़ोतरी से अपैरल की पूरी चेन प्रभावित हो रही है जिससे चालू वित्त वर्ष 2022-23 में रेडीमेड गारमेंट के तय लक्ष्य को हासिल करना मुश्‍कि‍ल हो सकता है।

चालू वित्त वर्ष में रेडीमेड गारमेंट का निर्यात लक्ष्य 20 अरब डालर का है। उन्होंने बताया कि निर्यातकों के पास आर्डर भी हैं और वे अपना उत्पादन भी बढ़ाने की तैयारी में है, लेकिन कच्चे माल के दाम बढ़ने से उत्पादन विस्तार पर फर्क पड़ सकता है। इसके अलावा लागत बढ़ने से निर्यातकों को नए ऑर्डर लेने में भी खरीदारों के साथ काफी मोलभाव करना पड़ रहा है।

मेगा टेक्सटाइल पार्क लगाने के 18 प्रस्ताव मिले

पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल पार्क (पीएम मित्र) योजना के तहत देश के 13 राज्यों ने अपने-अपने राज्यों में टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने की इच्छा जाहिर की है। इन राज्यों ने टेक्सटाइल मंत्रालय को पार्क की स्थापना के 18 प्रस्ताव दिए हैं। टेक्सटाइल मंत्रालय के मुताबिक आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने अपने-अपने राज्यों में पीएम मित्र पार्क स्थापित करने के 18 प्रस्तावों की रूपरेखा पेश की।

पीएम मित्र पार्क एक स्थान पर कताई, बुनाई, प्रसंस्करण, रंगाई और छपाई से लेकर परिधान निर्माण आदि तक एक एकीकृत कपड़ा मूल्य श्रृंखला बनाने का अवसर प्रदान करेगा और इस तरह यह उद्योग की लागत को कम करेगा।